राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आर्थिक विचार हैं अत्यंत व्यावहारिक : प्रो.के.एल.तलवाड़

 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आर्थिक विचार हैं अत्यंत व्यावहारिक : प्रो.के.एल.तलवाड़
कमल शर्मा/शिमला
1अक्टूबर 2020
     CNBNews4Himachal:ब्यूरो:-
गांधी जयंती के मौके पर चकराता महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो.के.एल.तलवाड़ ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भारत के लिए ही नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व के लिए आदर्श थे

।अपने अहिंसा के अस्त्र से उन्होंने भारत को परतंत्रता से मुक्ति दिलाई।उनकी पहचान एक राजनेता के रूप में अधिक थी।उन्होंने ‘हरिजन’ तथा ‘यंग इंडिया’ पत्रों का संपादन भी किया।यद्यपि उन्होंने अर्थशास्त्र पर कोई पुस्तक तो नहीं लिखी फिर भी उनके संपादकीय व भाषणों में तमाम आर्थिक विचार सामने आते हैं।उनके अनुसार अर्थशास्त्र एक नैतिक विज्ञान है।अर्थशास्त्र का उद्देश्य गरीबी को मिटाना, उसमें सदाचार की भावना को सृजित करना और समाज से बुराइयों को दूर करना है।उन्होंने धन को साध्य न मानकर एक साधन माना।उनके अनुसार त्याग से ही सुख प्राप्त होता है और त्याग तभी संभव है जबकि व्यक्ति की आवश्यकताएं कम हों।उनके अर्थशास्त्र में विलासिता को कोई स्थान नहीं दिया गया है।’सादा जीवन,उच्च विचार’ उनके जीवन का आदर्श था। गांधी जी श्रम को सम्मान से देखते थे।वे मशीनीकरण के स्थान पर दस्तकारी तथा बड़े पैमाने के स्थान पर लघु एवं कुटीर उद्योगों की स्थापना करना चाहते थे।
विकेन्द्रीकरण से एकाधिकारी प्रवृत्तियों को रोका जा सकता है।वे वर्ग-संघर्ष को समाप्त करने के लिए ‘न्यासवाद का सिद्धांत’ देते हैं।वे कहते थे खादी वस्त्र नहीं विचार है।गांधी जी आर्थिक आत्मनिर्भरता तथा स्वावलंबन के प्रबल समर्थक थे। वास्तव में वे अपने समय से बहुत आगे थे,जिसे आज हर कोई स्वीकार कर रहा है।

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