संपादकीय 7-4-2023
संपादकीय
डॉ स्मृति ने चौपाल से कभी तो जाना ही था
(कमल शर्मा वरिष्ठ पत्रकार)
सीएनबीन्यूज़4हिमाचल
चौपाल में कार्यरत रही डॉ स्मृति ठाकुर के चौपाल से तबादला होने से सभी लोग इनके यहाँ से चले जाने से बहुत भावुक हो रहे है
हालांकि डॉ स्मृति ठाकुर को चौपाल से किसी ने बदला नही है उनके पेरेंट्स चाहते थे उनकी बेटी उनके पास थोड़ी नजदीक रहे वर्तमान सरकार से डॉ स्मृति ठाकुर के पेरेंट्स ने ये तबादला ऑन रिक्वेस्ट करवाया है इस लिए सभी चाह कर भी उनको अब रोक नही पा रहे है सिर्फ उनके चौपाल से शिमला “आईजीएमसी” के लिए हुए तबादले में किसी भी प्रकार की रुकावट नही कर रहे है डॉ स्मृति ठाकुर का जो डॉ. होने के साथ एक ब्यक्तित्व है वो सरल आम लोगो को पंसद आने वाला एक परिवार की तरह यहाँ के सीधे साधे लोगो से इलाज करते वक्त अपना पन से बात करना मरीज को 60%बिना दवाई के ठीक करना डॉ स्मृति में ये एक्स्ट्रा काबलियत है। डॉ स्मृति के काम करने के तरीके पर अगर पूरा लिखना हो तो एक कम्प्लीट किताब की तरह होगा लेकिन एक अनुभव जो सिम्पल लगा वो था ग्रामीण मरीज से सरल भाषा मे बात करना , हमे सबको पहाड़ी होने का फक्र है,लेकिन बात ये थी वो ये रहा उनको डॉ स्मृति इलाज में पूछ रहे थे चक्कर तो नही आते सिर तो नही घूमता मरीज ठीक से नही समझ पा रहा था डॉ स्मृति ने फिर उनसे पहाड़ी में पूछा “रींग”तो नही लगती फिर मरीज मरीज समझ गया और अपना जवाब डॉ को बताया बता दे पहाड़ी में बजुर्ग लोग चक्कर सिर घूमने को ही ” रींग”कहते है डॉ,की अच्छी सोच एक सेवा भाव अपना पन की ऐसी सैकड़ो बाते है, लेकिन डॉ स्मृति के चौपाल से हुए तबादले को लोग दुखी मन से स्वीकार कर रहे क्यों कि स्मृति के पेरेंट्स का सवाल बीच मे है वो इस ट्रासफर से अपनी बेटी को अपने नजदीक चाहते थे। हर माता पिता अपनी बेटी को नजदीक ही चाहेगे। बच्चे कुछ भी बन जाए लेकिन माता पिता को अपने बच्चे कभी बड़े होते हुए नही दिखते यही कारण है इस ट्रासफर को ले कर लोग डॉ स्मृति को चौपाल से खुशी खुशी शुभकामनाएं दे कर अलविदा कर रहे है। डॉ स्मृति भी लोगों के साथ इतनी घुलमिल मिल गई थी उनके लिए कोई पराया था ही नही, डॉ स्मृति चौपाल वासियों को कह गई फिर लौट कर आऊँगी जरूर
संपादकीय
(कमल शर्मा की लेखनी से)