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शिमला:-सीटू के 54वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य पर हिमाचल प्रदेश के जिला, ब्लॉक मुख्यालयों व कार्यस्थलों पर मजदूरों द्वारा सीटू का ध्वजारोहण किया गया।
इस दौरान सीटू के भूमिका तथा केंद्र व प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों पर अनेक जगह पर सेमिनार आयोजित किये गए। सीटू के प्रदेश कार्यालय किसान मजदूर भवन चिटकारा पार्क कैथू शिमला में हुए सेमिनार को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, कोषाध्यक्ष अजय दुलटा, बालक राम, हिमी देवी, विनोद बिरसांटा, दलीप सिंह, सुरेंद्र बिट्टू, दर्शन लाल, रवि कुमार, दीप राम, प्रताप चंद, शांति देवी, सकीना देवी व निशा देवी आदि ने सम्बोधित किया। इस दौरान भारी संख्या में मजदूर शामिल रहे। सेमिनार से पूर्व राज्य कार्यालय शिमला में ध्वजारोहण किया गया। सेमिनार को सम्बोधित करते हुए विजेंद्र मेहरा, जगत राम,अजय दुलटा व बालक राम ने सम्बोधित करते हुए केंद्र सरकार की मज़दूर व कर्मचारी विरोधी नीतियों की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार पूंजीपतियों के हित में कार्य कर रही है व मजदूर विरोधी निर्णय ले रही है। पिछले सौ सालों में बने चौबालिस श्रम कानूनों को खत्म करके मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताएं अथवा लेबर कोड बनाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने केंद्र व प्रदेश सरकार से मांग की है कि मजदूरों का न्यूनतम वेतन इक्कीस हज़ार रुपये घोषित किया जाए। केंद्र व राज्य का एक समान वेतन घोषित किया जाए। आंगनबाड़ी,मिड डे मील,आशा व अन्य योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाए। मनरेगा में दो सौ दिन का रोज़गार दिया जाए व उन्हें राज्य सरकार द्वारा घोषित साढ़े तीन सौ रुपये न्यूनतम दैनिक वेतन लागू किया जाए। श्रमिक कल्याण बोर्ड में मनरेगा व निर्माण मजदूरों का पंजीकरण सरल किया जाए। निर्माण मजदूरों की न्यूनतम पेंशन तीन हज़ार रुपये की जाए व उनके सभी लाभों में बढ़ोतरी की जाए। कॉन्ट्रैक्ट,फिक्स टर्म,आउटसोर्स व ठेका प्रणाली की जगह नियमित रोज़गार दिया जाए। सभी मजदूरों को ईपीएफ,ईएसआई,ग्रेच्युटी,नियमतित रोज़गार,पेंशन,दुर्घटना लाभ आदि सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाया जाए। भारी महंगाई पर रोक लगाई जाए। पेट्रोल,डीज़ल,रसोई गैस की कीमतें कम की जाएं। रेहड़ी,फड़ी तयबजारी क़े लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट को सख्ती से लागू किया जाए।