थरोच रियासत के राणा किशन सिंह ने इस जातर कार्यक्रम का आयोजन 18 70 में पहली बार थरोच रियासत में किया था
February 29, 2020902 Views
(डीडी जंसटा /कमल शर्मा )की विशेष रिपोर्ट cnbnews4himachal 29फरवरी2020
थरोच:(चौपाल):ब्यूरो:- 24 से 28 फरवरी 2020 तक मशराह के जाबल में आयोजित जातर देव महोत्सव का विधिवत समापन हुआ।
आस्था से ओतप्रोत देव कार्यक्रम में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर देव चरणों में अपने आशीष नवाया । महेश्वर व बोठा महाराज से अपने परिवार और इलाके की समृद्धि के लिए अरदास लगाई। यह दोनों देव प्रत्यक्ष माने जाते हैं। इस देवो के कायदे कानून बड़े कड़े हैं और 15 दिनों की नियमावली में सभी को एक सूत्र में बंधा होता है। जब भी कभी कोई देव कार्यक्रम होता साफ सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस जातर कार्यक्रम को प्राय रियासतों से जोड़कर देखा जाता था । तब राजा महाराजाओ के
समय यह जातर प्राय राज्य अभिषेक के दौरान की जाती थी। लेकिन वर्तमान समय में इलाके की खुशहाली के लिए और देव आस्था को बनाए रखने के लिए इस तरह के आयोजन किए जाते हैं।
ऐसी मान्यता है कि । राणा के समय एक ही राज्य अभिषेक यानी जातर कार्यक्रम होता था। काबिले गौर है कि राणा थरोच का आगमन राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से हुआ ।जब अलाउद्दीन खिलजी ने आक्रमण कर वहां हाहाकार मचा दिया तब वह थरोच आए और यहां आकर थरोच रियासत का विस्तार किया। यह जानकारी चित्तौड़गढ़ के राणा के 73वें वंशज राणा बलजीत सिंह ने हमारेे संवाददाता सी एनबी न्यूज़ 4 हिमाचल
एक विशेष वार्ता में साझा की। राणा बलजीत सिंह ने यह भी बताया कि पहले यह कार्यक्रम पीढ़ी दर पीडी किए जाते थे। लेकिन रियासतों के विलय के बाद आज का कार्यक्रम देव आस्था व इलाके की समृद्धि के लिए आयोजित किए जाते हैं।
50 वर्षों के बाद आयोजित होने वाले इस भव्य देव कार्यक्रम के लिए मंदिर कमेटी महेश्वर देवता के अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ,4 चौतरू, भंडारी ,मंच संचालन के द्वारा सभी को अपनी मधुर वाणी से मंत्र मुक्त करते जय लाल हरजेट, प्रीतम शर्मा व मंदिर कमेटी के समस्त कारदार व स्थानीय दशशौ जनता को राणा थरोच ने अपने वक्तव्य में कहा
साधुवाद देता हूं और आभार व्यक्त करता हूं कि भविष्य में भी इस तरह के देव महोत्सव आयोजनों को समय-समय पर करने के लिए समस्त दशशौ जनता फिर से एकजुट होगी ।आगामी भविष्य में भी इस तरह के भव्य देव आस्था से जुड़े कार्यक्रम हो पाएंगे ऐसी मंगल कामना करता हूं ये शब्द राणा थरोच बलजीत सिंह ने कहे