ब्यूरो रिपोर्ट:शिमला
संयुक्त किसान मंच की रोहडू कार्यशाला में किसानों बागवानों का मुद्दा छाया रहा
शिमला:-संयुक्त किसान मंच के तत्वाधान में आज मेंहदली, रोहड़ू में कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमे रोहड़ू, चिड़गाव, जुब्बल, कोटखाई,चौपाल, ठियोग ब्लॉक के संयुक्त किसान मंच के घटक 13 किसान व बागवान संगठनो के करीब 150 बागवानों ने भाग लिया। इसमें हरीश चौहान, संजय चौहान, हरी चंद रोच, राकेश सिंघा, राजन हारटा, संजीव ठाकुर, लोकिंदर बिष्ट, त्रिलोक मेहता, दीपक ठाकुर, राजपाल चौहान, संदीप वर्मा, पंकज सुखदेव चौहान, संजय धनी, संजय मेहता, सुखदेव चौहान, जय सिंह जेहटा, हरीश घमटा, टीटू ब्रामटा, हरदयाल, कैलाश मांटा, अग्रदास ठाकुर आदि ने भाग लिया। इसमें आम सहमति हुई कि सरकार संयुक्त किसान मंच द्वारा तय 20 सूत्रीय मांगपत्र को लागू कर किसानो व बागवानों को राहत प्रदान करने का कार्य करे।इस कार्यशाला में बागवानों ने विभिन्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गई। इसमें तय किया गया कि सरकार एपीएमसी कानून,2005, हि.प्र. पैसेंजर एंड गुड्स टैक्सेशन एक्ट,1955, लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट, 2009 को तुरन्त प्रभाव से लागू करे ताकि बागवानों का मंडियों में हो रहे शोषण पर रोक लगाई जा सके। बागवानों ने चर्चा कर इस पर आम सहमति जताई कि सरकार तुरन्त पैकाजिंग के लिए टेलीस्कोपिक कार्टन के स्थान पर युनिवर्सल कार्टन के इस्तेमाल के लिए वर्तमान बजट सत्र में एक कानून बनाए तथा इसे इसी वर्ष से अनिवार्य रूप से लागू किया जाए। युनिवर्सल कार्टन के इस्तेमाल पर प्रगतिशील बागवान हरी चंद रोच ने पैकेजिंग के बेहतर विकल्प पर विस्तृत रूप से अपना वक्तव्य दिया। उन्होंने बागवानों को स्पष्ट किया कि आज यूनिवर्सल कार्टन ही एकमात्र विकल्प है जो दुनियां में प्रयोग में लाया जा रहा है तथा इसमें 20 से 22 किलोग्राम तक ही सेब भरा जाता है। इसमे ना तो सेब की गुणवत्ता खराब होती है और ना ही इसे एक स्थान से दुसरे स्थान में ले जाने में कोई परेशानी होती है। इसके साथ ही सरकार से मांग की गई कि हि.प्र. पैसेंजर एंड गुड्स टैक्सेशन एक्ट,1955 व लीगल मेटेरोलॉजी कानून,2009 के अनुसार प्रति किलोमीटर प्रति क्विंटल के अनुसार ही माल भाड़ा तय करे।
संजय चौहान हरीश चौहान सह संयोजक संयोजक ने सयुंक्त रूप से कहा संयुक्त किसान मंच लम्बे समय से किसानो व बागवानों के विभिन्न मुद्दों को उठा रहा है तथा सरकार से मांग करता है कि इन तीनो कानूनों को तुरन्त प्रभाव से लागू कर बागवानों को मंडियों में हो रहे शोषण पर रोक लगाई जाए। सरकार समय रहते इन मांगो पर अमल करे ।