शाबाश:किसान की बेटी ने एम्स में पाया 336वां रैंक बसदेहड़ा की बेटी एम्स में नर्सिंग ऑफिसर के रूप में देगी सेवाएं

किसान की बेटी ने एम्स में पाया 336वां रैंक
बसदेहड़ा की बेटी एम्स में नर्सिंग ऑफिसर के रूप में देगी सेवाएं
सत्यदेव शर्मा सहोड़
मैहतपुर (ऊना)
सीएनबीन्यूज़4हिमाचल:(23दिसम्बर):-नगर परिषद मैहतपुर-बसदेहड़ा की बेटी शिवानी मिन्हास ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइस (एम्स) में बतौर नर्सिंग ऑफिसर अपनी सेवाएं देगी। हाल ही में नॉर्थ जोन की नार्सिंग ऑफिसर रिक्रूटमेंट कॉमन एलीजिविल्टी टेस्ट (एनओआरसीईटी)-2021 को पहले ही प्रयास में उत्तीर्ण करके अपने माता-पिता के साथ-साथ जिला ऊना और हिमाचल प्रदेश का नाम रोशन किया।
शिवानी मिन्हास ने इस टेस्ट में 99.66 प्रतिशत अंक प्राप्त करके अपनी योग्यता सिद्ध की। शिवानी के पिता सुरेश कुमार मिन्हास पेशे से किसान हैं। जबकि माता एक गृहणी हैं। शिवानी ने बताया कि नर्सिंग की पढ़ाई करते हुए तृतीय वर्ष से ही इस टेस्ट की पढ़ाई को लेकर तैयारी शुरू कर दी थी। नर्सिंग की पढ़ाई पूूरी करने के बाद रोजाना 8 से 10 घंटे तैयारी की। इसके साथ-साथ जोधपुर (राजस्थान) की एक निजी अकादमी से ऑन लाइन कोचिंग प्राप्त की। मुझे पहले दिन से ही विश्वास था कि मैं यह टेस्ट अवश्य पास करूंगी। मेरे मन में इस टेस्ट को लेकर कभी कोई डर का माहौल नहीं रहा। कई विद्यार्थी किसी भी परीक्षा को लेकर अपने मन में डर की भावना पैदा कर लेते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। लगन और मेहनत के साथ-साथ लक्ष्य निर्धारित करने की एक बार जब मन में ठान लो तो फिर उसे हासिल करने का जज्बा भी अपने आप पैदा हो जाता है।
मां-बाप ने नहीं करने दिया घर का काम:शिवानी
शिवानी बताती हैं कि मेरे माता-पिता ने कभी भी मुझे घर का काम करने के लिए मजबूर नहीं किया। उन्होंने हमेशा मुझे पढऩे के लिए ही प्रोत्साहित किया। बाहरवीं की परीक्षा पास करने के बाद मुझे आइल्टस करके विदेश भेजने का विचार भी उनके मन में आया था, लेकिन मैंने इस पेशे को प्राथमिकता देते हुए परीक्षा की तैयारी आरंभ की। शिवानी ने बताया कि उसे आज भी खाना बनाना नहीं आता, जिसके चलते मुझे एक प्राइवेट जॉब भी छोडऩी पड़ी थी।
मेरे पहली पंसद ऋषिकेश: शिवानी
सामान्य वर्ग श्रेणी में 336वां रेंक हासिल करने वाली शिवानी मिन्हास ने बताया कि उसकी पहली पंसद उत्तराखंड के ऋषिकेश स्थित एम्स में अपनी सेवाएं देने की रहेगी। उसने बताया कि वहां पर मुझे इस क्षेत्र में और अधिक सीखने को मिलेगा। उसने बताया कि चूंकि हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर में अभी एम्स पूरी तरह बनकर तैयार नहीं हुआ है, इसलिए वह ऋषिकेश में सेवाएं देना चाहेंगी।

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