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इन के पास सौ रुपये कहाँ होंगें
रतन चंद निर्झर
लेखक
● फोटो: लेखक रतन चंद निर्झर
●सीएनबी न्यूज़4हिमाचल:-24जुलाई 2019—–■ साल 1985 की बात है मैं करछम किन्नौर से चंडीगढ़ जा रहा था बड़ी बहन से मिलने ।पुराना बस स्टैंड शिमला से चंडीगढ़ जाने वाली बस में अपना सामान सीट पर रख कर बस से बाहर निकल आया। अभी बस को चलने में आधा घण्टा था। शौचालय जाकर फिर बस के पास आ खड़ा कुर्ता पजामा मेरा परिधान था। बस केपास एक फेरी वाला ऊंची आवाज में हांक लगा रहा था 100 के पांच 100 के पांच।करीब जाकर फिरसे तसल्ली करने के लिए पूछ लिया क्या सच में 100 के पांच नही नही 100 केपांच नही।अभी तो तेरी आवाज 100 की पांच थी।मेरी बात की तस्दीक करते हुए साथ खड़े ण पेंट कोट पहने बाबू ने की। पलटवार करते हुए चादर बेचने बाले फेरीवाले ने कहा बाबू जी आपके पास तो होंगें एक सौ रुपये। इस पहाड़ी कुर्ते पजामे के पास कित्ते होंगे । उस पेंट कोट वाले बाबू ने तुरंत मेरी तरफ देख कर कहा है न तेरे पास 100 रुपये। उस दिन जेब नोटों से भरी थी। जल्दी से सौ का नीला नोट निकाला और फेरी वाले के हाथ थमा दिया। उस फेरी वाले को मजबूरन बोली के मुताबिक 5 चादरें मुझे देनी पड़ी ।लास्ट की पांच ही बची थी उसके काँधे पर ।बाद मैंने ये पांचों चादरें चंडीगढ़ जाकर दीदी के हाथों सुपर्द कर दी■■■■■■■■■
जानकारी : साहित्यिक पेज सीएनबी न्यूज़ 4 हिमाचल लेखक रतन चंद निर्झर द्वारा लिखित लेख प्रकाशित
(मुख्य संपादक कमल शर्मा)